लखनऊ: उत्तरप्रदेश की योगी सरकार का बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार आखिरकार रविवार को हो ही गया। इस मंत्रिमंडल विस्तार में भले न रिटायर्ड आईएएस अरविंद कुमार शर्मा मंत्री बन पाए और न उत्तराखंड राज्यपाल पद से बीच कार्यकाल हटाई गई दलित चेहरा बेबी रानी मौर्य को जगह दी गई, जैसी मीडिया के एक सेक्शन में खबरें उड़ रही थी लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दिया फॉर्मला ही आज़माया है।
दरअसल यह महद संयोग नहीं कि जुलाई में हुए मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में उत्तरप्रदेश से एक ब्राह्मण के साथ छह दलित-ओबीसी मंत्री बनाए गए थे। अब 26 सितंबर को हुए योगी मंत्रिमंडल विस्तार में भी कांग्रेस से पाला बदलकर आए जितिन प्रसाद को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है जबकि ठीक मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार की तर्ज पर सीएम योगी ने भी छह गैर यादव व ग़ैर जाटव ओबीसी-दलित विधायकों को सरकार में जगह दी है। जाहिर है यह महज संयोग नहीं है बल्कि मोदी सरकार की तर्ज पर ही योगी सरकार द्वारा दोहराया गया सियासी प्रयोग है जिसके तहत बीजेपी बाइस बैटल को लेकर गैर यादव ओबीसी , गैर जाटव दलित और ख़फ़ा बताए जा रहे ब्राह्मण तबके को साधकर चुनावी जीत की सोशल इंजीनियरिंग कर रही है।
जुलाई में जिस तरह से मोदी कैबिनेट फेरबदल-विस्तार में लखीमपुर खीरी सांसद अजय कुमार मिश्रा (ब्राह्मण) के अलावा, महाराजगंज सांसद पंकज चौधरी (ओबीसी), अपना दल से सांसद अनुप्रिया पटेल(ओबोसी), आगरा से सांसद एसपीएस बघेल (एससी), भानु प्रताप वर्मा (एससी), मोहनलालगंज सांसद कौशल किशोर (एससी) और राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा (एससी) को मंत्रीपद से नवाज़ा गया था, कुछ उसी तर्ज पर योगी कैबिनेट का विस्तार नजर आता है।
सितंबर के योगी कैबिनेट विस्तार में कांग्रेस से जितिन प्रसाद (ब्राह्मण) के अलावा संगीता बलवंत बिंद (ओबीसी), धर्मवीर प्रजापति (ओबीसी), पलटूराम (एससी), छत्रपाल गंगवार (ओबीसी), दिनेश खटिक (एससी) और संजय गौड़ ( एसटी) को मंत्रीपद से नवाज़ा गया है।
जाहिर है जिस तरह से मोदी मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नए बने मंत्रियों की जाति बार-बार बताई गई और अब उसी तर्ज पर योगी सरकार में दिखी सोशल इंजीनियरिंग साफ इशारा करती है कि बाइस की जंग जाति के ज़रिए जीतने की पटकथा का एक अध्याय और आगे बढ़ाया गया है और फ़ॉर्मूला पीएम मोदी
का ही सीएम योगी ने आज़माया है।