देहरादून: Chardham Yatra 2022 till now 54 pilgrims dies due to heart attack 20 मई को बदरीनाथ धाम के दर्शन कर जोशीमठ लौटे गुजरात के सूरत के रहने वाले 58 वर्षीय भानुभाई पुत्र नत्था भाई की सांस लेने में तकलीफ के बाद मौत हो गई। शुक्रवार को ही बदरीनाथ धाम में दोपहर साढ़े 3 बजे के आसपास गुजरात से आई एक और श्रद्धालु 55 वर्षीय वीणा बेन की तबियत बिगड़ने के बाद हार्ट अटैक से मौत हो गई।
हाई अल्टीटयूड के चलते ऑक्सीजन संकट से बुजुर्ग और बीमार चारधाम यात्रियों के लिए जान का खतरा बना रहता है और इसी कारण हर बार यात्रा सीजन में मौतें भी होती रही हैं। लेकिन कोरोना के बाद इस बार पूरे उत्साह से शुरू हुई चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौत होना गंभीर चिन्ता का विषय बनता जा रहा है। ये आंकड़ा अपने आप में कितना चिन्ताजनक है कि पिछले 24 घंटे में चारधाम यात्रा पर आए 7 श्रद्धालुओं की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई। अगर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के तीन अप्रैल से खुले कपाट के बाद शुरू हुई यात्रा से लेकर अब तक का डेटा देखा जाये तो अब तक 56 श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं। इसमें से 54 यात्रियों की मौत कारण है हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पड़ना।
जबकि केदारनाथ में भी दो यात्रियों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। बीते कल केदारनाथ धाम पहुंचे महाराष्ट्र के पुणे के 61 वर्षीय प्रदीप कुमार कुलकर्णी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मध्यप्रदेश के मंदसौर से बाबा केदार के दर्शन करने आए 57 वर्षीय बंशीलाल की मौत भी हार्ट अटैक से हो गई। अगर अब तक कुल मौतों की बात करें तो केदारनाथ यात्रा में अब तक 23 यात्रियों की मौत हो चुकी है और इनमें 22 ने हार्ट अटैक के चलते अपनी जान गँवाई।
चारधाम यात्रा के प्रवेश द्वार योगनगरी ऋषिकेश में तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई जिनमें चारधाम यात्रा कर लौटे उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले 65 वर्षीय अवधेश नारायण तिवारी पुत्र शिव प्रसाद तिवारी की मुनिकीरेती में गंगा स्नान के बाद तबियत बिगड़ी और अस्पताल पहुँचे तो मृत घोषित कर दिया गया। मध्य प्रदेश के धार से आई 49 वर्षीय सौरम बाई पत्नी अमर सिंह की भी तबियत बिगड़ने पर एसपीएस अस्पताल लाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। गुरुवार देर रात मुंबई के 58 वर्षीय उमेश दास जोशी पुत्र विट्ठलदास राघव जोशी बेहोश हो गए जिन्हें अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
बड़ा सवाल है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों की जान कैसे जा रही हैं? क्या तीर्थयात्री अपनी हेल्थ हिस्ट्री छिपाकर चारधाम यात्रा कर रहे? या फिर स्वास्थ्य का सरकारी अमला इमरजेंसी हालात में जीवन बचाने लायक त्वरित राहत देने में नाकाम साबित हो रहा? क्या धामी सरकार को नहीं चाहिए कि वह तीर्थ यात्रियों को उच्च हिमालयी क्षेत्र की मौसमी और भौगोलिक चुनौतियों के प्रति पर्याप्त तौर पर जागरुक करे ताकि चारधाम यात्रा में लगातार होती मौतें रोकी जा सकें।