
देहरादून: आखिरकार लंबे इंतजार और तारीख पर तारीख देने के बाद भाजपा ने उत्तराखंड की जनता के सामने 2022 के चुनाव को लेकर अपना मैनिफ़ेस्टो जारी कर ही दिया है। 54 पेज के चुनावी घोषणापत्र, जिसे भाजपा ने सत्ता में आने पर अपना अगले पांच साल का दृष्टिपत्र यानी अपना विजन डॉक्यूमेंट करार दिया है, में युवाओं, महिलाओं से लेकर पूर्व सैनिकों सहित हर वर्ग को लुभाने की कोशिश की है। लेकिन चुनावी वायदों की झड़ी लगाते सत्ताधारी भाजपा पांच साल पहले यानी 2017 में विपक्ष में रहते लेकर आई 11 पृष्ठों के अपने विजन डॉक्यूमेंट में किए वायदों को सरकार में भूलकर बैठी रही।

अब भाजपा ने 54 पृष्ठों के विजन डॉक्यूमेंट में 100 दिन में लेकर आए जाने वाले खंडूरी सरकार के सख्त लोकायुक्त पर तो पूरी तरह से मौन व्रत धारण कर ही लिया, भ्रष्टाचार, राजनीतिक स्थाईत्व से लेकर कई वायदों से भी किनारा कर लिया है। सरकार बनने के छह माह में तमाम सरकारी पदों पर भर्ती का वायदा करके पांच साल उसे भूली रही भाजपा ने फिर सरकार बनी तो तत्काल 24 हजार और कुल 50 हजार सरकार नौकरी देने का नया वादा किया है।
भाजपा ने 2017 में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस अपनाने का दम भरते हुए अन्ना आंदोलन से प्रभावित होकर जनरल खंडूरी की सरकार द्वारा बनाए सख्त लोकायुक्त को सौ दिन के भीतर लेकर आने का वादा ख़म ठोक कर किया था। लेकिन त्रिवेंद्र-तीरथ से लेकर पुष्कर धामी तक लोकायुक्त से सबने पीठ फ़ेर ली।

ये वो वादे जिन्हें भाजपा सरकार ने पांच साल में पूरा नहीं किया
100 दिन के भीतर लोकायुक्त बनाने का वादा रहा अधूरा, अब 2022 के विजन डॉक्यूमेंट में ज़िक्र तक नहीं
सरकार बनने के छह महीने के भीतर 24 हजार रिक्त पद भरने का वादा चाहकर भी टीएसआर1 और टीएसआर 2 छोड़िए धामी तक पूरा नहीं कर पाए।
भ्रष्टाचार रोकने को एंटी करप्शन सेल आज तक गठित नहीं हो पाए
