देहरादून: राजधानी देहरादून स्थित दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल राज्य की लाइफलाइन से कम नहीं! वजह है पहाड़ों पर हेल्थ का 21 साल बाद ‘बीमार सिस्टम’! पहाड़ के ज़्यादातर अस्पताल रेफ़रल सेंटर से अधिक नहीं हैं, ऐसे में दून हॉस्पिटल पर राज्य के मरीजों का सबसे ज्यादा भार रहता है। सरकार के वीआईपीज का लोड भी दून हॉस्पिटल झेलता है।
यहां तक कि यूपी के कई जिलों के मरीज भी बीमारी में दून अस्पताल की तरफ दौड़ते हैं। हिमाचल प्रदेश से भी मरीज आते हैं। लेकिन यही दून हॉस्पिटल अपनी बदहाली पर आँसू बहाने को मजबूर हैं। आए दिन संसाधनों संकट की खबरें तो आती रहती हैं लेकिन हर दूसरे महीने आप किसी न किसी अखबार और टीवी न्यूज चैनल पर यह खबर देख लेते होंगे कि दून हॉस्पिटल की एनआरआई मशीन खराब है और उसी रिपोर्ट में सरकार का यह जवाब भी पाते होंगे कि बस जल्द मशीन ठीक हो जाएगी या नई आ जाएगी। लेकिन हकीकत क्या है इसे लेकर ईटीवी भारत ने बुधवार को दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ केसी पंत के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। डॉ केसी पंत कहते हैं कि एमआरआई मशीन 2007 मे लगाई गई थी जो अब काफी समय से खराब है। नई MRI मशीन आनी है जिसकी प्रक्रिया शासन स्तर पर गतिमान है। डॉ पंत ये भी कहते हैं कि MRI मशीन का न्यूरो सर्जरी से लेकर फंगल इंफ़ेक्शन जिसके मरीज अब आ रहे हैं, में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है लेकिन डेढ़ साल से शासन स्तर से क्लीयरेंस की कवायद चल रही है जैसे ही क्लीयरेंस आएगी उसके एक से दो माह भीतर नई एमआरआई मशीन लगा दी जाएगी।
अब आप कल्पना करिए कि अगर पहाड़ से कोई मरीज चलकर दून हॉस्पिटल पहुँचता है और उसे अपने इलाज में MRI जांच करानी है तो दोगुना-तीन गुना दाम चुकाने को निजी लैब्स में लुटने के अलावा क्या विकल्प है। ये आलम तब है जब हाईकोर्ट में लगातार प्रदेश के स्वास्थ्य के हालात पर सुनवाई हो रही और मुख्य सचिव से लेकर स्वास्थ्य और वित्त सचिव तारीख दर तारीख फटकार खाने को मजबूर हैं लेकिन हालात बदलते नहीं दिख रहे। अब डेढ़ साल में राज्य में तीसरे मुख्यमंत्री भी आ चुके हैं और साढ़े चार साल बाद स्वास्थ्य मंत्री भी मिल चुका है, उम्मीद करिए राज्य का स्वास्थ्य महकमा ‘आईसीयू’ से बाहर निकल पाएगा।
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