देहरादून: धामी सरकार ने आपदा पीड़ितों के लिए सहायता राशि बढ़ा दी है। मकान टूटने, जल भराव से नुकसान और अहेतुक सहायता राशि में बढ़ोतरी की गई है। सीएम धामी ने सोमवार को आपदा राहत कार्यों और पुनर्निर्माण की मॉनिटरिंग के लिए हाईपॉवर कमेटी बनाई जा रही है। आपदा से नुकसान व राहत-बचाव कार्यों की समीक्षा के दौरान यह निर्णय किया है। क्षतिग्रस्त भवनों के मामले में अगर भवन SDRF मानकों की परिधि से बाहर है तो उनको भी सीएम रिलीफ़ फंड सेमदद दी जाएगी।
धामी सरकार ने इन मदों में बढ़ाई आपदा सहायता राशि-
- आपदा प्रभावित को घरेलू सामान खरीदने को तत्काल दी जाने वाली अहेतुक सहायता 3800 से बढ़कर 5000
- पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान को 1.5 लाख रुपये दिए जाएंगे। अब तक पहाड़ में 1.01800 और मैदान में 95 हजार मिलते थे
- आंशिक क्षतिग्रस्त पक्के मकान के लिए सहायता राशि 5200 के बजाए 7500 रुपये दी जाएगी
- आंशिक क्षतिग्रस्त कच्चे मकान के लए सहायता राशि को 3200 रुपये बढ़ाकर 5000 रुपये कर किया गया
- बारिश से खराब हुए घरों के बाहर लगे बिजली मीटरों को पावर कार्पोरेशन नि:शुल्क बदलेगा
- भूमि की क्षति पर न्यूनतम एक हजार रुपये कही सहायता राशि अनिवार्य रूप से दी जाएगी
- जीएसटी के दायरे से बाहर के कारोबारियों की दुकानों में जलभराव से नुकसान को 5000 रुपये आर्थिक सहायता
लेकिन विपक्ष आपदा प्रबंधन को लेकर धामी सरकार पर नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए आंदोलन की चेतावनी दे रहा है।
सोमवार को पूर्व सीएम और कांग्रेस के कैंपेन कमांडर हरीश रावत ने प्रेस कॉंफ़्रेंस कर सीएम धामी और सरकार को फेल करार दिया। कांग्रेस भवन में बुलाई प्रेस कॉंफ़्रेंस में हरदा ने कहा कि धामी सरकार आपदा के मोर्चे पर फेल साबित हो चुकी है और इतने दिन बीत जाने के बाद भी मुआवजा राशि नहीं दी गई है लिहाजा कांग्रेस ने तय किया है कि 28 अक्तूबर से प्रदेशभर में सभी जिला मुख्यालयों व महानगरों में उपवास आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसके बाद भी सरकार ने आपदा पीड़ितों तक राहत नहीं पहुँचाई तो आगे की रणनीति तय की जाएगी।
हरीश रावत ने कहा कि केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह साफ कह गए कि केन्द्र ने राज्य को 36 घंटे पहले आपदा के हालातों की जानकारी दे दी थी तब सरकार क्यों सोई रही? रावत ने कहा कि जून 2013 की आपदा के कुप्रबंधन पर कांग्रेस ने सीएम हटा दिया था लेकिन बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व फेल्योर के बावजूद ससीएम और सरकार की तारीफ़ों के पुल बाँध रहे हैं। जबकि सरकार कं मंत्री, विधायक और कार्यकर्ता ढिलाई बरत रहे। हरदा ने कहा कि मानवीय जान की क्षति पर कम से कम 10 लाख रुपए देने चाहिए। उसी हिसाब से फ़सलों, मवेशियों के नुकसान का आकलन होना चाहिए।
आपदा को लेकर प्रदेश में अब राजनीति भी तेज हो गई है। वजह है चंद माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव। चुनावी जीत के लिए सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस में आपदा के बहाने शह-मात का खेल शुरू हो गया है। यही वजह है कि एक तरफ जहां धामी सरकार आपदा से हुए नुकसान को लेकर सहायता राशि बढ़ाकर पीड़ितों के ज़ख़्मों पर मरहम लगाने का दावा कर रही है। तो दूसरी तरफ विपक्षी कांग्रेस न केवल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आपका प्रबंधन के मोर्चे पर फेल बता रही बल्कि पूरी सरकार को ही आसमानी आफत के बाद बने हालात से लड़ने में नाकाम करार दे रही है। जाहिर है विधानसभा चुनाव करीब हैं और हर आरोप-प्रत्यारोप के केन्द्र में चुनावी नफा लेना और अपने विरोधी को नुकसान पहुँचाना है।