कार्मिक विभाग के निर्देशों को कई सेवा संघों का ठेंगा! सेवानिवृत्त होकर कई संगठनों में कार्मिक पदाधिकारी बनकर बजा रहे हुकुम, फेडरेशन के सदस्य की शिकायत पर जागेगा शासन?

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देहरादून: प्रदेश के मान्यता प्राप्त सेवा संघों में सेवारत कार्मिकों के ही पदाधिकारी रहने तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों के सेवा संघों के क्रियाकलापों में पाए जाने पर ऐसे संघ, संगठन की मान्यता रद्द करने संबंधी कार्मिक विभाग के निर्देशों के उपरांत भी अनेक सेवा संघों में अभी भी सेवानिवृत्त कार्मिकों द्वारा पदाधिकारी के रूप में कार्य किए जाने का मामला उजागर हुआ है। इसी के संबंध में उत्तराखंड फेडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रियल सर्विसेज के ऐसे अध्यक्ष पदाधिकारी के खिलाफ फेडरेशन के ही सदस्य सुरेश चंद शर्मा द्वारा कारण विभाग को शिकायती पत्र देते हुए कार्मिक विभाग के आदेशों का हवाला देते हुए शिकायत की गई है। इसके तहत मिनिस्ट्रियल फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील दत्त कोठारी सेवानिवृत्त होने के बाद भी अपने पद पर यथावत बने हैं तथा संगठन के दैनिक कार्यों में बतौर अध्यक्ष सभी को दिशा निर्देश दे रहे हैं, जोकि कार्मिक विभाग के आदेश 26 दिसंबर 2017 का उल्लंघन है। शर्मा द्वारा सुनील कोठारी की सेवानिवृत्ति के उपरांत बतौर अध्यक्ष किए जा रहे एसोसिएशन के कार्यों को कार्मिक नियमों के विरुद्ध बताते हुए इस संबंध में कार्मिक विभाग से सम्यक निर्देशों के अनुरूप उचित कार्यवाही करने का अनुरोध अपने शिकायती पत्र में किया है।


आपको बता दें कि कार्मिक विभाग द्वारा समय-समय पर सेवा संघों की मान्यता नियमावली 1979 के अंतर्गत केवल सेवारत कार्मिकों को ही मान्यता प्राप्त सेवा संघों के क्रियाकलापों हेतु अधिकृत किया गया है किसी भी दशा में सेवानिवृत्त कार्मिकों को सेवा संघ मे न होने की स्पष्ट व्यवस्था की गई है। ऐसे सेवानिवृत्त कार्मिकों के सेवा संघ में होने पर संबंधित संघों की मान्यता रद्द करने की भी व्यवस्था कार्मिक विभाग द्वारा तय की गई है।

शिकायतकर्ता द्वारा मिनिस्ट्रियल फेडरेशन में सेवानिवृत्त कार्मिक सुनील कोठारी के अभी भी बतौर अध्यक्ष कार्य करने का संज्ञान कराया गया है। जबकि इसके अतिरिक्त यह भी पता लगा है कि मिनिस्ट्रियल फेडरेशन के अतिरिक्त प्रदेश के मान्यता प्राप्त अन्य सेवा संघों में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन, सिंचाई कर्मचारी महासंघ में भी काफी समय से कमोबेश यही स्थिति है। वहां भी इसी तरह कार्मिक विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है तथा सेवानिवृत्त कार्मिक ही अब तक वहां पदाधिकारी बने हुए हैं।
इस शिकायत के बाद देखना दिलचस्प होगा कि कार्मिक विभाग ऐसे मान्यता प्राप्त संगठनों के विरुद्ध क्या कोई कार्रवाई अमल में लाता है? या ऐसे संगठनों को नियमों के विरुद्ध इसी तरह अपने-अपने संगठन को गतिमान रखने की स्वतंत्रता देता है?
कार्मिक विभाग द्वारा ऐसे संगठनों जिनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है वहां पर नई कार्यकारिणी का चुनाव कराए जाने हेतु 16 अक्टूबर 2020 को स्पष्ट आदेश जारी किए हुए हैं। परंतु जानकारी हुई है कि प्रदेश के कई मान्यता प्राप्त संगठन इतना समय व्यतीत होने के बाद भी अपने-अपने संगठनों के चुनाव आदि कराए जाने में कोताही बरतने का काम कर रहे हैं कहीं न कही यह सीधे कार्मिक विभाग के आदेशों को दरकिनार करते हुए अपनी मनमानी चलाने का पुख्ता प्रमाण है।


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