मंत्री या सचिव कौन सच्चा कौन बोल रहा झूठ?
खाद्य विभाग के तबादलों के बहाने मंत्री रेखा आर्य ने सूबे की नौकरशाही को लिया निशाने पर
100 दिनों की धामी सरकार में मंत्री 8 लेकिन विवादों से चमकीं सिर्फ कैबिनेट मंत्री रेखा
मंत्री महाराज ACR पर ज्ञान बांटते रहे रेखाआर्य ने कर ली सचिव की गोपनीय प्रविष्टि तलब
देहरादून: खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रेखा आर्य ने अपने विभागीय सचिव और आयुक्त सचिन कुर्वे की गोपनीय प्रविष्टि यानी ACR तलब कर ली है। नैनीताल के जिला आपूर्ति अधिकारी को बिना विभागीय मंत्री के अनुमोदन के अनिवार्य छुट्टी पर भेजने और 6 जिला आपूर्ति अधिकारियों के ट्रांसफर के मामले में मंत्री रेखा आर्य सख्ती का संदेश देना चाह रही हैं। हालांकि जिस तरह से सचिव सचिन कुर्वे ने मंत्री के आदेशों के आगे नतमस्तक होने से इनकार किया है उसके बाद अब मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की टेबल पर पहुंच गया है। लेकिन जिस तरह से मंत्री रेखा ने अपने विभागीय सचिव की ACR तलब की है उस अंदाज में करीब 100 दिनों की धामी सरकार में शायद ही कोई दूसरा मंत्री एक्शन में नज़र आया हो!
सवाल है कि जिस अंदाज में विभागीय मंत्री ने अपने ही सचिव और आयुक्त को कठघरे में खड़ा किया है और मंत्री के आदेश के बावजूद ट्रांसफर निरस्त करने से इनकार कर सचिव ने जवाबी हमला बोला है यह कई तरह के गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या मंत्री पूरे मामले में झूठ बोल रही और मनमर्जी ट्रांसफर न होने है तिलमिला गईं हैं? या जैसे आरोप लगते रहे हैं, नौकरशाही डबल इंजन सरकार में भी पूरी तरह से हावी हो चुकी है? या फिर DSO ट्रांसफर का फैसला ऊपर से लिया गया और मंत्री को बिल्कुल अंधेरे में रखा गया जिसके बाद मंत्री वर्सेस सचिव का बवाल जरूर छिड़ गया, लेकिन असल में मंत्री रेखा आर्य मैसेज कहीं और भी देना चाह रही? TSR सरकार में वन मंत्री रहते हरक सिंह रावत भी अधिकारियों के ट्रांसफर पर अंधेरे में रखे जाने पर हल्ला मचाते रहते थे।
मंत्री रेखा आर्य ने कार्मिक सचिव को पत्र लिखकर अपने खाद्य विभाग के सचिव और आयुक्त सचिन कुर्वे की गोपनीय प्रविष्टि (ACR) से संबंधित पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। अपने पत्र में रेखा आर्य ने कहा है कि खाद्य आयुक्त ने बिना उनके अनुमोदन के 20 जून को नैनीताल के जिला आपूर्ति अधिकारी मनोज वर्मन को अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया। मंत्री ने इस पर आदेश रद्द कर जवाब तलब किया था लेकिन सचिन कुर्वे ने आदेश मानने की बजाय उसी दिन 6 जिला आपूर्ति अधिकारियों के ट्रांसफर कर दिए।
तबादलों पर तनातनी का एक पहलू यह भी है कि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने मंत्रियों को सचिवों और अधिकारियों की ACR लिखने का अधिकार दिए जाने की सबसे ज्यादा वकालत की लेकिन एक्शन में रेखा आर्य ही दिख रही हैं। मंत्री रेखा आर्य इस बात स तिलमिलाई हुई हैं कि उनके विभाग में ताबड़तोड़ तबादले हो गए और उनको भनक तक नहीं लग पाई, अनुमोदन लेना तो दूर की बात! दरसअल खाद्य आयुक्त सचिन कुर्वे ने उनके कार्यालय में अटैच श्याम शर्मा का ट्रांसफर पिथौरागढ़, मुकेश कुमार हरिद्वार, हरिद्वार के जिला आपूर्ति अधिकारी केके अग्रवाल का ट्रांसफर रुद्रप्रयाग, रुद्रप्रयाग जिला आपूर्ति अधिकारी मनोज डोभाल का ट्रांसफर नैनीताल कर दिया। जबकि नैनीताल के जिला आपूर्ति अधिकारी मनोज वर्मन को बागेश्वर ट्रांसफर कर दिया और देहरादून जिला आपूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी को चमोली भेज दिया। बताया जा रहा है कि मनोज वर्मन ने नैनीताल जिले में बिना बॉयोमेट्रिक के राशन बांट दिया।
मंत्री रेखा आर्य ने आनन फानन किए गए ताबड़तोड़ तबादलों को लेकर विरोध दर्ज कराया है। रेखा आर्य का कहना है कि तबादला एक्ट के अनुरूप 25 जून से 5 जुलाई तक तबादला समिति की बैठक होनी थी जिसके बाद 10 जुलाई तक ट्रांसफर ऑर्डर जारी होने थे लेकिन विभागीय सचिव कुर्वे ने डेढ़ घण्टे सारा काम कर डाला। मंत्री आर्य का आरोप है कि विभागीय सचिव व आयुक्त कुर्वे ने तय प्रोसेस फॉलो न कर ट्रांसफर एक्ट का मखौल उड़ाया है। लिहाजा विभागीय मंत्री के नाते निजी स्वार्थ और भ्रष्टाचार की आशंका के चलते मंत्री आर्य ने ट्रांसफर आदेश निरस्त करने को कह दिया है।
अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में पूरा मामला है और गतिरोध के पटाक्षेप को लेकर मुख्यमंत्री क्या स्टैंड अपनाएंगे देखना दिलचस्प होगा। बहरहाल मंत्री रेखा आर्य ने विभागीय सचिव की ACR तलब कर सख्ती का स्पष्ट संदेश देना चाहा है लेकिन सचिव सचिन कुर्वे ने ट्रांसफर एक्ट में ट्रांसफर के लिए मंत्री से अनुमोदन लेने का कोई नियम न होने का दो टूक जवाब देते हुए ट्रांसफर रद्द करने का आदेश मानने से इनकार कर दिया है। सचिव कुर्वे ने ट्रांसफर आर्डर निरस्त करने की स्थिति में विभाग में विधिक विवाद और अराजकता के माहौल के पैदा होने की आशंका जताई है। बहरहाल पूरे विवाद में सरकार की किरकिरी हो रही है और विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया है।