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भाजपा ने अपनी महिला मोर्चा अध्यक्ष का ही काट दिया टिकट पर महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्य का टिकट के साथ पार्टी में वेलकम, आधी आबादी को महज 10 फ़ीसदी टिकट

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देहरादून: उत्तराखंड निर्माण आंदोलन से लेकर दैंनदिन जीवन में पहाड़ प्रदेश की आधी आबादी किसी भी मामले में पुरुषों के मुकाबले उन्नीस नहीं दिखती बल्कि इक्कीस ही साबित होती है। लेकिन चार विधासनभा चुनावों के आँकड़ों से लेकर अब सूबे के पाँचवें विधानसभा चुनाव में टिकट बँटवारे को देखें तो महिलाओं की भागीदारी बेहद कम ही रखी जा रही है।

गुरुवार को भाजपा ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए 70 में से 59 सीटोँ पर प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की है जिसमें एक बार फिर महिलाओं को बेहद कम 10 फीसदी हिस्सेदारी ही दी गई है। भाजपा आलाकमान ने उत्तराखंड प्रदेश की अपनी महिला मोर्चा अध्यक्ष और यमकेश्वर विधायक ऋतु खंडूरी का ही टिकट काट दिया है। हालाँकि दो दिन पहले कांग्रेस छोड़कर आई महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्य को जरूर टिकट से नवाज़ा है। लेकिन अगर 59 प्रत्याशियों की सूची में देखें तो सिर्फ 6 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया गया है। जबकि तीन महिलाओं के टिकट काटे हैं जिसमें ऋतु खंडूरी की जगह यमकेश्वर में महिला प्रत्याशी के तौर पर रेनू बिष्ट को टिकट दिया गया है।

इसके अलावा भाजपा ने गंगोलीहाट से विधायक मीना गंगोला का टिकट काट दिया है। थराली से विधायक मुन्नी देवी साह का टिकट भी काट दिया गया है। जबकि खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन का टिकट काटकर उनकी पत्नी रानी देवयानी को टिकट दिया गया है। कैबिनेट मंत्री और सोमेश्वर विधायक रेखा आर्य टिकट लेने में कामयाब रही हैं। वहीं पिथौरागढ़ से विधायक चंद्रा पंत को फिर टिकट दिया गया है।

भाजपा मे देहरादून कैंट से दिवंगत हरबंश कपूर की पत्नी सविता कपूर को टिकट दिया है। जाहिर है एक बार फिर भाजपा ने महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी बरती और दो महिला विधायकों के टिकट काटकर पुरुष प्रत्याशी उतारे हैं। जबकि 59 प्रत्याशियों में उतारी गई छह महिला प्रत्याशियों में भी तीन टिकट पूर्व विधायकों की पत्नियों को दिए गए हैं।

हालाँकि अभी 11 प्रत्याशियों की घोषणा होना शेष है लेकिन इनमें एकाध सीट पर ही महिला दावेदारों पर विचार हो रहा है।
कांग्रेस ने अभी अपनी लिस्ट जारी नहीं की है लेकिन पार्टी की महिला इकाई अध्यक्ष को टिकट के लिए दूसरे दल में भागना पड़ गया है इससे अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कितना फीसदी रहने वाला है।

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