तबादले का तुग़लक़ी आदेश देने वाले IAS की स्वास्थ्य विभाग से छुट्टी कब ?

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  • सीएम धामी ने डॉ निधि उनियाल के तबादला आदेश को स्थगित किया
  • बधाईयां बंटोरते घूम रहे स्वास्थ्य मंत्री धनदा की टूटी नींद, मीडिया में हाहाकार मचा तो CM धामी ने दिए आदेश, जांच कमेटी
  • प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की डॉक्टर को स्वास्थ्य सचिव की पत्नी की शान में ग़ुस्ताख़ी पर ट्रांसफर की मिली सजा तो दिया इस्तीफा
  • महामारी से जंग लड़ने वाले कोरोना वॉरिअर्स की प्रताड़ना कब तक?

देहरादून: आईएएस पंकज कुमार पांडेय एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। पहले एनएच 74 मुआवजा घोटाले के जरिए सुर्ख़ियां बटोरीं थी। वैसे इस बार भी पंकज कुमार पांडेय ने कोई ऐसा तीर नहीं मारा जिससे प्रदेश को फायदा पहुँचा हो, न ही स्वास्थ्य सचिव के नाते कोई ऐसा उल्लेखनीय काम किया कि चौतरफा उनका यशगान हो रहा हो। हाँ स्वास्थ्य सचिव हैं तो क्या सिस्टम और क्या डॉक्टर सबको नौकरशाह के सामने दंडवत होना पड़ेगा। अगर नहीं झुकेंगे तो फिर चाहे आप कोरोना वॉरियर हों, सीनियर डॉक्टर हों आपको तुरंत ट्रांसफर पनिशमेंट देकर पहाड़ चढ़ाया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे ने साबित कर दिया कि अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में तैनाती का मतलब पनिशमेंट पोस्ट है।

अगर ऐसा न होता तो पत्नी की तीमारदारी में घर पहुँची सीनियर डॉक्टर को सजा के तौर पर दून मेडिकल से चंद घंटों में अल्मोड़ा भेजने का फ़रमान जारी नहीं होता। सबसे ज्यादा दुखद यह है कि प्रताड़ित होकर सीनियर डॉक्टर निधि उनियाल इस्तीफा दे देती हैं और लेटर सोशल मीडिया में वायरल है लेकिन सरकार में दोबारा मंत्री बनने पर बधाईयां लेते घूम रहे स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत इस मामले में काफी समय तक मूकदर्शक बने रहे हैं लेकिन सोशल मीडिया में जिस तरह से डॉ निधि उनियाल के समर्थन में आवाज बुलंद हुई तो मजबूरन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ख़ामोशी तोड़कर डॉक्टर के इस्तीफे पर रोक के साथ ही कमेटी बिठाकर जांच के आदेश देने पड़े हैं।

जानिए आईएएस और हेल्थ सेक्रेटरी की पत्नी की हनक और महामारी से जंग लड़ते डॉक्टर की मजबूती और आत्मसम्मान से जुड़ा ये पूरा मामला क्या है?

दरअसल, पीड़ित डॉ निधि उनियाल उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में सीनियर फिज़िशियन और एसोसिएट प्रोफेसर हैं। गुरुवार को अचानक सोशल मीडिया में उनके इस्तीफे का लेटर वायरल होने लगा जिसमें उन्होंने बताया कि हेल्थ सेक्रेटरी की पत्नी की घर पर जाकर जांच और इस दौरान हुए व्यवहार के बाद आनन-फानन में अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज तबादला करने के बाद इस्तीफा दे दिया।

डॉ. निधि उनियाल के अनुसार वे गुरुवार को अपनी ओपीडी में मरीजों को देख रही थीं लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा उन्हें स्वास्थ्य सचिव पंकज कुमार पांडेय की पत्नी के स्वास्थ्य की जांच के लिए उनके घर जाने को कहा जाता है। ओपीडी में मरीजों की भीड़ का हवाला देकर डॉ. निधि ने इससे इंकार करती हैं लेकिन दून अस्पताल प्रशासन द्वारा जोर देने पर वे दो मेडिकल स्टाफ लेकर हेल्थ सेक्रेटरी के घर उनकी पत्नी की जांच करने पहुँचती हैं। लेकिन पंकज कुमार पांडे के घर पर ब्लड प्रेशर जांचने को जब डॉ. निधि ने बीपी इंस्ट्यूमेंट कार से लाने के लिए अपने स्टाफ को भेजती हैं तो इस पर हेल्थ सेक्रेटरी की पत्नी नाराज हो जाती हैं। बकौल डॉ निधि पंकज पांडेय की पत्नी अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करती हैं जिस पर डॉक्टर की उनसे बहस हो जाती है और डॉ निधि स्टाफ के साथ अस्पताल लौट आती हैं।

बाद में डॉ निधि को अस्पताल प्रशासन हेल्थ सेक्रेटरी की पत्नी से माफी मांगने को कहता है लेकिन अपनी ग़लती न होने का हवाला देकर डॉ.निधि माफी माँगने से इंकार कर देती हैं। फिर क्या था दोपहर होते होते हेल्थ सेक्रेटरी ने इसे अपनी पत्नी और खुद की शान में बड़ी ग़ुस्ताख़ी करार देते हुए डॉ निधि को सोबन सिंह जीना राजकीय मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा से संबद्ध करने का आदेश थमा देते हैं। लेकिन डॉ. निधि उनियाल ने इस पर गंभीर आपत्ति दर्ज करते हुए कुछ देर बाद ही पंकज कुमार पांडे को अपना इस्तीफा भेज दिया।

जाहिर है यह अपने आप में बेहद चौंकाने वाला मामला है कि एक आईएएस की शान में ग़ुस्ताख़ी की सजा एक कोरोना वॉरिअर को इस्तीफा देकर भुगतनी पड़ रही है। उससे भी कहीं ज्यादा तकलीफ़देह यह है कि सिस्टम मूकदर्शक बना बैठा है। न स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के बोल इस गंभीर मसले पर फूटते दिख रहे और न मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हेल्थ सेक्रेटरी पर एक्शन लेकर पीड़ित महिला डॉक्टर के साथ न्याय कर पाने की जल्दबाज़ी में नजर आ रहे हैं! हालाँकि अब सीएम धामी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और डॉ निधि उनियाल के साथ न्याय करने का दावा किया है।

बड़ा सवाल कि आखिर मरीजों के लिहाज से सबसे व्यस्तम दून मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर को ओपीडी छोड़कर व्यक्तिगत देखभाल के लिए हेल्थ सेक्रेटरी हैं तो क्या हुआ, उनके घर जाने को मजबूर होना पड़े?
दूसरा बड़ा सवाल यह भी कि आखिर डॉक्टरों के संकट से जूझते उत्तराखंड में जब हेल्थ सेक्रेटरी ही पर्सनल खुंदक निकालने को डॉक्टरों को प्रताड़ित करते नजर आ रहे तब उनको इस विभाग से चलता कब किया जाएगा?


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