दिल्ली: देश में कोरोना का कहर अब साफ नजर आ रहा है। रोजाना के कोरोना पॉजीटिव मरीजों का आंकड़ा अब 1.80 लाख तक पहुंच गया है। महाराष्ट्र खासतौर पर मुंबई और दिल्ली में डराने वाले हालात बनते दिख रहे हैं। दिल्ली में एम्स से लेकर तमाम अस्पतालों के 800 से ज़्यादा डॉक्टर कोरोना पॉजीटिव हो चुके हैं और अब तक दिल्ली पुलिस के 1000 जवान कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी DDMA ने आज कहा है कि कोरोना का बढ़ता संक्रमण देखते हुए एडिशनल पाबंदियां लगाई जाएंगी लेकिन अभी दिल्ली में लॉकडाउन लगाने की तैयारी नहीं है।
लेकिन महाराष्ट्र में कोरोना के बिगड़ते हालात देखकर आज से मिनी लॉकडाउन लगा दिया गया है। महाराष्ट्र में तीसरी लहर तांडव मचा रही है और बीते 24 घंटे में कोरोना के 44,388 नए मामले सामने आए हैं। मुंबई में लगातार कोरोना के नए मामले 20 हजार के पार मिल रहे थे लेकिन आज थोड़ी सी कमी के साथ 19,474 पॉज़िटिव मिले हैं। ज़ाहिर है राज्य में भयावह होते हालात के मद्देनज़र महाराष्ट्र सरकार ने मिनी लॉकडाउन लगाने का कड़ा फ़ैसला लिया है।
महाराष्ट्र में नई पाबंदियों के तहत आज रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ़्यू रहेगा और सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक धारा 144 लागू रहेगी। यानी दिन में एक साथ एक जगह पाँच या उससे ज़्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकेंगे। जबकि नई गाइडलाइंस के तहत स्कूल-कॉलेजों को 15 फ़रवरी तक बंद कर दिया गया है।
दिल्ली में कोरोना हुआ बेक़ाबू
दिल्ली में कोरोना बेक़ाबू हो चुका है। आम लोगों के साथ साथ वायरस तेज़ी से डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों के रूप में फ्रंटलाइन कोरोना वॉरिअर्स को संक्रमित कर रहा है जिससे हालात और भयावह बनते जा रहे हैं। दिल्ली में बीते 24 घंटे में 22,751 नए कोरोना पॉज़ीटिव मिले और अब पॉजीटिविटी रेट 23 फ़ीसदी के पार जा चुकी है।
कोरोना की तीसरी लहर के क़हर ने सरकारों से लेकर एक्सपर्ट्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या नाइट कर्फ़्यू बेअसर साबित हो रहा है! यहाँ तक दिल्ली में नाइट कर्फ़्यू के बाद वीकैंड कर्फ़्यू का फ़ैसला भी लिया गया है। लेकिन पॉजीटिविटी रेट डरावना हालात की तरफ़ इशारा कर रही है।
महाराष्ट्र सरकार के मिनी लॉकडाउन के फ़ैसले के अलावा अभी अधिकतर राज्य सरकारें ज़रूरत पड़ने पर पाबंदियाँ और बढ़ाने से लेकर लोगों को बेवजह घरों से न निकलने तथा मास्क और कोविड प्रोटोकॉल पालन कराने पर भी ज़ोर दे रही हैं। लेकिन जिस तरह से दैनिक मरीज़ों का आँकड़ा तेज़ी से बढ़ रहा उसके बाद नहीं लगता कि हालात न सुधरे तो लॉकडाउन का दौर दूर है।
IIT कानपुर के मैथ्स एंड कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रोफ़ेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा है कि लॉकडाउन का असर तो पड़ता है लेकिन इस समय के हालात समझना भी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि पहली लहर में सख़्त लॉकडाउन ने संक्रमण की रफ़्तार पर ब्रेक लगा दी थी। दूसरी लहर के दौरान राज्यों ने अपने-अपने हालात के मद्देनज़र हल्के और मीडियम लॉकडाउन के फ़ैसले लिए थे। प्रोफ़ेसर अग्रवाल कहते हैं कि साफ़ देखा गया है कि लॉकडाउन लगाने से संक्रमण की रफ़्तार रोकने में मदद मिलती है।
उनका साफ़ कहना है कि हमें सभी पहलुओं को सोच विचार कर लॉकडाउन पर फ़ैसला करना चाहिए और जब तक हमारे अस्पतालों या मेडिकल इंफ़्रास्ट्रक्चर पर मरीज़ों का बोझ नहीं बढ़ रहा है तब तक हमें लॉकडाउन जैसे सख़्त क़दम से बचना चाहिए।
ज़ाहिर है कोरोना की पहली लहर में अचानक लॉकडाउन लगाने से रोज़ी-रोजगार खोने और एक शहरों से गांवो की ओर पलायन की जैसी विभत्स तस्वीरें आई उसका दोहराव कदापि नहीं होना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक़ सूत्र मॉडल से कोरोना की लहर और पीक का अनुमान लगाने वाले एक्सपर्ट प्रोफ़ेसर अग्रवाल ने दावा किया है कि तीसरी लहर का पीक मुंबई और दिल्ली में जनवरी मध्य तथा देश के अन्य हिस्सों में फ़रवरी के शुरू में आ सकता है। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर के पीक पर रोज़ाना 4 से 8 लाख नये पॉज़ीटिव मरीज़ मिलने लगेंगे।