न्यूज़ 360

हरदा वर्सेस प्रीतम: जल्द होने वाला राहुल गांधी का फैसला बता देगा पहाड़ कांग्रेस में कौन कितने पानी में, बाइस बैटल के लिए पार्टी के चुनावी चेहरे की झांकी भी दिख जाएगी

Share now

दिल्ली/देहरादून: मोदी-शाह दौर में देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ये आया कि जोखिम लेते बीजेपी घबराती नहीं है और इसका उसे कई बार चुनावी मुनाफ़ा भी हुआ है। लेकिन ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस पुराने ढर्रे से हटने को तैयार नहीं है। इसकी ताजा बानगी पहाड़ पॉलिटिक्स में देखी जा सकती है। सत्रह में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई बीजेपी ने पिछले चार महीने में तीन मुख्यमंत्री बदल डाले। मार्च में त्रिवेंद्र रावत को चलता किया और तीरथ भी जमे नहीं तो जुलाई में उनकी भी छुट्टी हो गई। गढ़वाल से निकलकर बीजेपी ने कुमाऊं-तराई समीकरण एक साथ साधते हुए युवा चेहरे पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाकर नए सिरे से अपनी चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। अब ये अलहदा विषय है कि बार-बार सीएम बदलकर राजनीतिक अस्थिरता का माहौल पैदा करने के आरोप से उसे कितना नुकसान और युवा सीएम धामी पर दांव लगाने से कितना फायदा होगा लेकिन त्वरित फैसले लेने का जोखिम बीजेपी हाईकमान उठाने से नहीं हिचकता ये बात फिर सिद्ध हो गई।

इसके बरक्स कांग्रेस हाईकमान प्रदेश में अब ले-देकर बचे दो ध्रुवों पूर्व सीएम हरीश रावत और पीसीसी चीफ प्रीतम सिंह को समझौते की टेबल पर रज़ामंद नहीं कर पा रहा है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश के 13 जून को हुए आकस्मिक निधन ने हरदा और प्रीतम के कैंपों में छिड़े कलह को सतह पर ला दिया है। कहां तो प्रदेश नेता दिल्ली गए थे नए नेता प्रतिपक्ष का चुनाव कराने और कहां प्रदेश अध्यक्ष पद बदलने की मांग कर हरदा कैंप ने प्रीतम कैंप से हिसाब चुकता करने का दांव खेलकर पार्टी नेतृत्व की पेशानी पर बल डाल दिया है।
अब महीनेभर के मंथन रायशुमारी और बैठकों के बाद ड्राइविंग सीट पर राहुल गांधी आ चुके हैं। राहुल गांधी गुज़रे दो दिनों में हरदा, प्रीतम से लेकर प्रदेश के करीब एक दर्जन नेताओं से वन ऑन वन मुलाकात कर फीडबैक ले चुके हैं। अब फैसला करने का दारोमदार पार्टी नेतृत्व पर है कि चुनाव से पहले ‘घर’ के इस झगड़े को कैसे शांत कराया जाए ताकि पंजाब जैसे हालात न बनें और फैसला हरदा और प्रीतम दोनों को स्वीकार्य हो।
समीकरण ये है कि अगर कैंपेन कमेटी चीफ हरीश रावत को बनाया जाता है और प्रीतम सिंह पीसीसी चीफ का पद बचाए रह जाते हैं तो समझा जाएगा कि पार्टी आलाकमा ने दोनों को बैलेंस करने का दांव चला है। लेकिन अगर नए नेता प्रतिपक्ष के साथ-साथ पीसीसी चीफ भी बदल दिए जाते हैं और प्रीतम को सीएलपी लीडर बनाकर संतुष्ट किया जाता है लेकिन नया प्रदेश अध्यक्ष भुवन कापड़ी की बजाय गणेश गोदियाल या अन्य नामों में से कोई बनता है तो ये प्रीतम कैंप को झटका होगा। प्रकाश जोशी और किशोर जैसे नाम तवज्जो पाते हैं तो ये दोनों खेमों के लिये नया मैसेज होगा।


एक फ़ॉर्मूला ये भी है कि हरदा को कैंपेन कमेटी की कमान मिले, प्रीतम पीसीसी चीफ बने रहें और उप नेता विपक्ष करन माहरा को नेता प्रतिपक्ष बनाकर नई व्यवस्था, जो कुछ राज्यों में पहले आज़माई जा चुकी है, के तहत दो कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष एक गढ़वाल और एक कुमाऊं से बनाकर ठाकुर-ब्राह्मण के साथ साथ क्षेत्रीय समीकरण साधे जाएं।
जाहिर है फ़ैसला सोनिया-राहुल गांधी को करना है और ये फैसला बताएगा कि कांग्रेस में किसके पक्ष में कैसी हवा है। बाइस बैटल और बाद के संकेत भी इसी फैसले से मिलने तय हैं।

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!