VIDEO गंगोत्री धाम के खुल गए कपाट: अक्षय तृतीया के मौके पर गंगोत्री धाम के खुले कपाट, प्रथम पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की गई,मुख्यमंत्री धामी ने की पूजा-अर्चना
गंगोत्री धाम में प्रथम पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की गई। उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूजा-अर्चना और मां गंगा के दर्शन कर आशीर्वाद लिया है।
आप भी घर बैठे करिए माँ गंगोत्री के प्रथम दर्शन
देहरादून: अक्षय तृतीया के मौके पर चारधाम यात्रा की आज से शुरूआत हो गयी है। मंगलवार को तय कार्यक्रमानुसार सवा 11 बजे गंगोत्री धाम के कपाट खुले और अब थोड़ी देर में सवा 12 बजे यमुनोत्री धाम के कपाट भी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
गंगोत्री धाम के कपाट सुबह 11:15 खुले
बड़ी संख्या मैं पहुँचे श्रद्धालु कर रहे माँ के दर्शन
अब माँ के अगले छह माह तक दर्शन यहीं धाम में होंगे
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी गंगोत्री धाम पहुंच माँ के दर्शन
यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12:15 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे
तय कार्यक्रम के अनुसार माँ गंगा की डोली सुबह आठ बजे गंगोत्री धाम पहुंचने पर नौ बजे से विधि-विधान के साथ गंगा पूजन, गंगा सहस्त्रनाम पाठ एवं विशेष पूजा-अर्चना के बाद 11:15 बजे गंगोत्री धाम के कपाट खोल दिए गए।
वहीं, मंगलवार सुबह 8.30 बजे मां यमुना की उत्सव डोली शीतकालीन प्रवास खुशीमठ से पारंपरिक वाध्य यंत्रों की थाप पर शनिदेव की डोली की अगुवाई में यमुनोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेगी। धाम पहुँचने के उपरांत विधि-विधान के साथ हवन और पूजा के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे।
सीएम पुष्कर सिंह धामी गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के समय उपस्थित रहे। सीएम पुष्कर सिंह धामी सुबह 9.55 बजे देहरादून से हेलीकॉप्टर के जरिए हर्षिल पहुंचे। सीएम 10:30 बजे गंगोत्री धाम पहुंचकर कपाटोद्घाटन के समय मौजूद रहे।
अक्षय तृतीया पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो गया। ज्ञात हो कि छह मई को केदारनाथ धाम के कपाट और आठ मई को बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएंगे।
गंगोत्री–खुल गए आस्था के द्वार।। अक्षय तृतीया को विश्वप्रसिद्ध आस्था के धाम गंगोत्री में माँ गंगा के व यमुनोत्री में माँ यमुना कपाट (द्वार) श्रद्धालुओं के लिए विधि विधान, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खोल दिये गए हैं।। शीतकाल के 6 महीनों माँ गंगा जी की भोगमूर्ति गंगोत्री से 20 किलोमीटर पहले मुखवा गांव में स्थित गंगोत्री मंदिर में विराजमान रहती हैं।। मुखवा को माँ गंगा का मायका भी कहा जाता है। ग्रीष्मकालीन के 6 महीनों के लिए माँ गँगा जी की भोगमूर्ति एक भव्य उत्सव डोली में बैठकर हज़ारों श्रद्धालुओं के साथ गाजे बाजों व सेना की बैंड धुन के साथ गंगोत्री के लिए अक्षय तृतीया के एक दिन पहले गंगोत्री तीर्थ के लिए रवाना होती हैँ। इस दिन माँ गंगा जी की यात्रा भैरों घाटी के भैरव मंदिर में विश्राम करती हैं। अक्षय तृतीया को सुबह सवेरे को यात्रा और भव्य व विशाल जनसमूह के साथ अपने गंतव्य को निकाल पड़ती हैं। गंगोत्री पहुंचते पहुंचते यात्रा में हज़ारों श्रद्धालु शामिल हो जाते हैं। माँ गंगा के जयकारों व उदघोष के ढोल नगाड़ों व सेना के बैंड की धुन व शंखनादके साथ साथ समूची गंगोत्री घाटी व हिमालय गूँज उठता है। समूचा धार्मिक वातावरण अति शोभायमान हो जाता है। गंगोत्री पहुंचते ही माँ गंगा के जयकारों के साथ गंगोत्री में वहाँ पहले से ही मौजूद हज़ारों श्रद्धालु माँ गंगा जी की शोभा यात्रा की माँ गंगा जी के जयकारों के साथ धूप अगरबत्ती फूल मालाओं से स्वागत करते हैं। गंगोत्री मुख्य मंदिर में पहुंचने के बाद सर्वप्रथम उत्सव डोली भव्य शोभायात्रा माँ गँगा की बहती निर्मल, अविरल, दिव्य धारा में पूजा स्नान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना व माँ गंगा की स्तुति की जाती है। इसी के साथ यात्रा जत्था माँ गंगा जी के तट पर विराजमान भागीरथ शिला की पूजा की जाती है। इन सबके बाद मुख्य गंगोत्री मंदिर प्रांगण में गँगा जी की भव्य स्तुति गान, पूजा, अनुष्ठान, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया जाता है। पूजा समापन के साथ ही गंगोत्री मुख्य मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये जाते हैं। कपाट खुलने के पलों का हज़ारों श्रधालु साक्षात बनने की होड़ में रहते हैं। कपाट खुलते ही माँ गँगा जी की डोली व भोगमूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाती हैं। गौरतलब है कि गंगोत्री मुख्य मंदिर में माँ गंगा जी की विशाल शिला मूर्ति पहले से ही विराजमान रहती हैं। कपाट खुलने व कपाट बंद होने पर गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ जी की भोगमूर्ति ही अपने शीतकालीन मंदिरों में पूजी जाती हैं। स्थाई मूर्तियां तो अनादिकाल से इन्हीं चारों धामों में विराजमान हैं।
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