देहरादून: कोरोना के चलते दो साल बाधित रही चारधाम यात्रा इस बार तमाम रिकॉर्ड तोड़ने जा रही है। जिस तरह से हफ्तेभर में दो साल से ज्यादा श्रद्धालु चारधाम यात्रा कर चुके और अब तक 10 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन हो गए हैं यह यात्रियों का उत्साह दिखा रहा है। लेकिन इसी बीच यह खबर आना कि हफ्तेभर में चारधाम यात्रा करने आए 22 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है, अपने आप में चिन्ता बढ़ाती है।
चिन्ताजनक हालात का पता इस बात से भी चल जाता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने राज्य सरकार से लगातार दम तोड़ते श्रद्धालुओं के मामले में जवाब तलब कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद चारों धामों को लेकर होने वाली गतिविधियों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और पीएमओ ने यात्रियों को लेकर स्वास्थ्य संबंधी इंतजाम की रिपोर्ट भी तलब की है। सीएम धामी अपने स्तर पर भले चारधाम यात्रा को लेकर बेहतर इंतजाम और सुचारू व्यवस्था के लिए पसीना बहा रहे हों लेकिन चारधाम यात्रा से संबंधित दो अहम विभागों के मंत्री अपनी ही भाग-दौड़ में उलझे पड़े हैं।
चारधाम यात्रा के इंतज़ामों की बात की जाए तो स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका बेहद अहम हो जाती है लेकिन स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत चिंतन को गुजरात तक घूम आए, चारधाम यात्रा की स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाओं का रियलिटी चेक करने कब निकलेंगे देखना बाकी है। अलबत्ता 22 यात्रियों की मौत होने के बाद स्वास्थ्य सचिव राधिका झा ने डीएम, एसएसपी और सीएमओ के साथ समीक्षा बैठक कर निर्देश दिए हैं कि डीएम और सीएमओ व्यवस्थाओं की रेगुलर मॉनिटरिंग करें। डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर एक्शन होगा और एयर एम्बुलेंस सुविधा देने के निर्देश भी दिये गए हैं। सवाल है कि क्या जब चारधाम यात्रा शुरू होने के पहले हफ्ते में ही स्वास्थ्य व्यवस्था और दम तोड़ने श्रद्धालुओं के चलते धामी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई, तब अकेले मुख्यमंत्री की बजाय स्वास्थ्य मंत्री को मोर्चे पर नजर नहीं आना चाहिए?
जब स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत चारधाम यात्रा को लेकर नदारद नजर आ रहे तब भला कहने को सबसे कद्दावर मंत्री सतपाल महाराज कहां दिखाई दे रहे! सतपाल महाराज को भी पर्यटन और धर्मस्व मंत्री के नाते चारधाम यात्रा को लेकर फ्रंटफुट पर एक्शन में नजर आना चाहिये था लेकिन महाराज तो ठहरे फिर महाराज! धनदा देश में व्यस्त तो महाराज विदेश से ही चारधाम यात्रा पर नजर बनाए हुए हैं। मंत्री महाराज दुबई में आयोजित हो रहे चार दिवसीय अरेबियन ट्रैवल मार्केट (ATM) में शिरकत करने गए हैं। इस आयोजन में मंत्री महाराज के कंधों पर उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के साथ साथ इंडिया टूरिज्म पवेलियन का शुभारंभ करने का भार आन पड़ा!
सवाल है कि क्या उत्तराखंड से कई गुना ज्यादा टूरिस्ट संभालने वाले राज्यों उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के पर्यटन मंत्रियों को दुबई जाकर नए टूरिस्ट बुलाना गँवारा न हुआ? इंडिया टूरिज्म पवेलियन को लेकर भी केन्द्रीय पर्यटन मंत्री या भारत सरकार के पास फुरसत नहीं थी? या फिर ठीक चारधाम यात्रा को लेकर जब लाखों टूरिस्ट देवभूमि उत्तराखंड आ रहे तब मंत्री महाराज को नए सैलानी बुलाने को सैर पर निकलना बेहतर लगा?
प्रदेश में जिस तरह से चारधाम यात्रा इंतज़ामों को लेकर टूरिज्म और हेल्थ विभागों की तैयारियों की पहले हफ्ते में ही पोल खुल गई है, उसके बाद दुबई में टूरिस्ट लाने के लिए घुमक्कड़ी करने निकले मंत्री सतपाल महाराज को सोशल मीडिया में ट्रोल भी किया जा रहा है।