
मुज़फ़्फ़रनगर: रविवार को उत्तरप्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के GIC GROUND में किसानों की महापंचायत में ऐतिहासिक भीड़ उमड़ी। तीन कृषि क़ानूनों को रद्द कराने को लेकर हुंकार भरते लाखों किसानों ने उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में बीजेपी को सबक सिखाने का ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि तीन कृषि क़ानूनों को मोदी सरकार जब तक वापस नहीं लेगी तब तक किसान आंदोलन खत्म कर घर नहीं लौटेंगे।
मोर्चा ने कहा है कि 27 सितंबर को एक बार फिर भारत बंद किया जाएगा और यूपी-उत्तराखंड जैसे राज्यों में बीजेपी की हार सुनिश्चित करने को सघन अभियान चलाया जाएगा। किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि किसान इस देश की आवाज हैं और किसानों की हुंकार के सामने किसी भी सरकार का अहंकार नहीं चलता है। बीजेपी और मोदी सरकार को असहज करते हुए पार्टी सांसद वरुण गांधी ने किसानों के समर्थन में ट्विट करते हुए कहा हाँ कि मुज़फ़्फ़रनगर में आज लाखों किसान धरना प्रदर्शन में जुटे हैं, वे हमारा ही खून हैं। हमें उनके साथ सम्मानजनक ढंग से दोबारा बातचीत करने की दरकार है। वरुण गांधी ने कहा कि किसानों का दर्द समझने की जरूरत है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार झूठी हैं। न देश के किसानों की आय दोगुनी हुई और न यूपी के किसानों को गन्ने का भाव 430 रु प्रति क्विंटल मिल पाया। टिकैत ने कहा यूपी की योगी सरकार सांप्रदायिक दंगा कराने वाली सरकार है। बीजेपी तोड़ने का काम करती है और किसान जोड़ने का काम करता है। टिकैत ने कहा- हमें संविधान बचाना है और जब तक किसानों की माँगें पूरी नहीं होंगी न आंदोलन थमेगा न किसान घर लौटेगा।
योगेन्द्र यादव ने योगी सरकार पर पांच आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने गन्ने का भाव बढ़ाया नहीं, फसल बीमा के नाम पर फ़रेब किया, पूरा अनाज खरीद वादा अधूरा, क़र्ज़माफ़ी का ढोंग किया और लोगों को धर्म के नाम पर बांट दिया। इसलिए मुज़फ़्फ़रनगर में पहुँचे किसान ने आंदोलन खत्म हो गया कहने वाले सरकारी-दरबारी लोगों को ‘सौ सुनार की एक लुहार’ वाली चोट मारी है। मेधा पाटकर ने कहा कि किसानों,मजदूरों और गरीब तबक़े को वोट की चोट मारनी पड़ेगी। पाटकर ने कहा मोदी ने नोटबंदी की थी हम वोटबंदी कर मोदी-योगी को हराएँगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि अगर केन्द्र सरकार हमें बातचीत के लिए आमंत्रित करेगी तो हम जरूर जाएंगे। टिकैत ने कहा आजादी का संघर्ष 90 साल चला था और किसान आंदोलन कब तक चलेगा इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है।
जाहिर है मुज़फ़्फ़रनगर के जीआईसी ग्राउंड में जिस तरह से किसानों का सैलाब उमड़ा है उसकी तस्वीरें बीजेपी नेतृत्व को बेचैन कर देंगी। खासतौर पर ऐसे समय जब यूपी और उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्ता बचाने को लेकर बीजेपी नेतृत्व ऐड़ी-चोटी का जोर लगाए है, तब किसानों की भाजपा हराओ हुंकार संकट का सबब बन सकती है। वह भी तब जब उत्तराखंड में सत्ता हाथ से जाती देख बीजेपी नेतृत्व तीन मुख्यमंत्री बदल चुका और यूपी में संघ का समर्थन पाकर सीएम योगी कुर्सी बचाने में कामयाब जरूर रहे लेकिन बाइस बैटल जीतने को लेकर रास्ते की दुश्वारियां कम नहीं होती दिख रही हैं। खासतौर पर पश्चिमी यूपी 2014 के बाद से हर चुनाव में बीजेपी का मजबूत किला साबित हुआ है, वहाँ से मिल रही चुनौती सियासी खतरे का बड़ा संकेतक है।