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Video पूजा पद्धति और परम्पराओं में देवस्थानम बोर्ड की दख़लंदाज़ी पर बद्रीनाथ विधायक की खुली आँख, मुख्यमंत्री और महाराज बोर्ड पर कब तक मौन!

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जोशीमठ: बदरीनाथ धाम और मुख्य पड़ाव में स्थित मंदिरों में पूजा पद्धति में बदलाव को लेकर एक बार फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं। कोरोना के बीच चारों धाम के कपाट खुल चुके हैं लेकिन देवस्थानम बोर्ड ने महामारी की आड़ लेकर पूजा और महाभिषेक के समय में परिवर्तित कर दिया है। जहां पूर्व में किसी भी परिस्थिति में कपाट सुबह ठीक 3:00 बजे ब्रह्म मुहूर्त में खुलने का समय निर्धारित रहा है। लेकिन इस बार देवस्थानम बोर्ड ने नई SOP के ज़रिए इस समय में बदलाव करते हुए ब्रह्म मुहूर्त की बजाय सुबह 7:00 बजे से शाम 7:00 बजे कर दिया है। यानी नई गाइडलाइंस के तहत मंदिरों के द्वार खोलने की जो परम्परा थी उसे ही एक झटके में बदल डाला गया है।

अब इस पर स्थानीय हक-हकूकधारी पुजारी और ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित संघ ने सवालिया निशान खड़े किए जिसके बाद अब क्षेत्रीय बीजेपी विधायक महेन्द्र भट्ट की आँख खुली हैं। इस पूरे मामले को जब हम लगातार उठा रहे हैं तब क्षेत्रीय विधायक महेंद्र भट्ट सामने आए हैं और उनका कहना है कि देवस्थानम बोर्ड का दायित्व पूजा पद्धतियों के समय को निर्धारित करने का नहीं है बल्कि हक-हकूकधारी पुजारी और धर्माधिकारी के जो सुझाव होंगे उसका पालन करना देवस्थानम बोर्ड की ज़िम्मेदारी है।

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महेन्द्र भट्ट ने कहा है कि पूरे मामले में उन्होंने पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज से फोन पर वार्ता कर ली है और जल्दी इस पूरे मामले में फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि द न्यूज़ अड्डा ने प्रमुखता के साथ बदरीनाथ धाम और जोशीमठ स्थित मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर कपाट खुलने का मुद्दा उठा रहा है। हम ये सवाल लगातार खड़ा कर रहे हैं कि भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने के बाद सुबह 7 बजे और सांय 7 बजे तक पूजा को लेकर जारी देवस्थानम बोर्ड की गाइडलाइंस परंपरा विरूद्ध है। कपाट खुलने के बाद जब नर यानी मनुष्य भगवान बदरी विशाल की पूजा करते हैं तब ब्रह्म मुहूर्त में ठीक सुबह 3:00 बजे भगवान के मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल जाते थे जो कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा बनाई गई परंपरा है।

लेकिन वर्तमान समय में देवस्थानम बोर्ड और उत्तराखंड सरकार द्वारा बिना किसी सोच-विचार के यह फैसला लिया गया जिस पर लोगों ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। अब जब सभी हक-हकूकधारी पुजारी और धर्माधिकारी पौराणिक परंपरा को लागू करने की बात कर रहे हैं तब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कब तक देवस्थानम बोर्ड की दख़लंदाज़ी पर मौन साधे रहते हैं ये देखना होगा।

रिपोर्ट: नितिन सेमवाल, स्थानीय पत्रकार, जोशीमठ

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